Tips and toes, in a glossy glow,
Tuesday, October 26, 2021
Monday, October 25, 2021
As you wish
the swaying arms of the tree, leaves agitated in storm,
a curtain parted by wind,
or beams of sunlight, a shower of crystals falling in line,
a bath in honey, strands of saffron crushed in the palms,
the heady perfume has stunned the wind. It is standing still.
From what abysmal depth has love found its spring.
Love comes unannounced and flows and come wafted on a scented breeze,
Choose as you wish.
जैसे तुझे स्वीकार हो।
डोलती डाली, प्रकंपित पात, पाटल-स्तंभ विलुलित,
खिल गया है सुमन मृदु-दल, बिखरते किंजल्क प्रमुदित,
स्नात मधु से अंग, रंजित-राग केशर-अंजली से स्तब्ध-सौरभ है निवेदित :
मलय मारुत, और अब जैसे तुझे स्वीकार हो।
पंख कंपन-शिथिल, ग्रीवा उठी, डगमग पैर, तन्मय दीठ अपलक,
कौन ऋतु है, राशि क्या, है कौन-सा नक्षत्र, गत-शंका, द्विधा-हत बिंदु अथवा वज्र हो—
चंचु खोले, आत्म-विस्मृत हो गया है यती चातक :
स्वाति, नीरद, नील-द्युति, जैसे तुझे स्वीकार हो।
अभ्र लख भ्रू-चाप-सा, नीचे प्रतीक्षा में स्तिमित नि:शब्द
धरा पाँवर-सी बिछी है, वक्ष उद्वेलित हुआ है स्तब्ध,
चरण की हो चाप किंवा छाप तेरे तरल चुंबन की :
महाबल, हे इंद्र, अब जैसे तुझे स्वीकार हो।
मैं खड़ा खोले हृदय के सभी ममता-द्वार,
नमित मेरा भाल : आत्मा नमित-तर है नमित-तम मम भावना-संसार,
फूट निकला है न-जाने कौन हृत्तल वेधता-सा निवेदन का अतुल पारावार,
अभर-वर हो, वरद-कर हो, तिरस्कारी वर्जना, हो प्यार :
तुझे प्राणाधार, जैसे हो तुझे स्वीकार—
सखे, चिन्मय देवता, जैसे तुझे स्वीकार हो!
As you wish
the swaying arms of the tree, leaves agitated in storm,
or beams of sunlight, a shower of crystals falling in line,
a bath in honey, strands of saffron crushed in the palms,
the heady perfume has stunned the wind. It is standing still.
From what abysmal depth has love found its spring.
Love comes unannounced and flows and come wafted on a scented breeze,
Choose as you wish.