suntannedapples
Tuesday, December 21, 2021
हुई शाम जैसे धुआं छह रहा है।
उमड़ते है बादल; सलओनासा सूरज
छुपा जा रहा है
बादलों की ओट मे
कि घबरा रहा है।
बदली का आंचल,
इक अपनासा कंबल,
रात की लोरी सुनता है सूरज।
Sushama Karnik.
Image: Credit to
Arif Sayed
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